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डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैकुलर एडीमा के उपचार विकल्प

सूरजमुखी की छवि पर मधुमेह रेटिनोपैथी के प्रभाव

डायबिटिक रेटिनोपैथी में टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज़ के कारण  आंख के पिछले भाग में स्थित प्रकाश-संवेदी रेटिना को नुकसान पहुंचता है।

डायबिटीज़ के कारण रक्त में शर्करा का स्तर लंबे समय तक अधिक बना रहने पर रेटिना में मौजूद नन्हीं रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिसके कारण उनमें से तरल पदार्थ या रक्त रिस कर रेटिना के ऊतकों में आ जाता है। रेटिना की रक्त वाहिकाओं को नुकसान होने से आंख के पिछले कक्ष में भी रक्तस्राव हो जाता है जिसमें सामान्य स्थिति में पारदर्शी विट्रस जैल भरा होता है।

अंततः ये बदलाव रेटिना में ठीक न हो सकने वाला नुकसान कर देते हैं और इससे ऐसी दृष्टि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जिन्हें चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के उपयोग से भी ठीक नहीं किया जा सकता है।.

डायबिटिक रेटिनोपैथी में रेटिना के अंदर वैस्कुलर एंडोथीलियल ग्रोथ फ़ैक्टर (VEGF) नामक प्रोटीन की मात्रा में तेज़ वृद्धि देखने को मिलती है।

VEGF रेटिना में नई रक्त वाहिकाओं की रचना को प्रेरित करता है ताकि ऊतकों तक अधिक रक्त आ सके, क्योंकि रेटिना का रक्त संचार डायबिटीज़ के कारण अपर्याप्त हो चुका होता है।

दुर्भाग्य से, VEGF की प्रतिक्रिया में रेटिना में बनने वाली ये नन्हीं नई रक्त वाहिकाएं नाज़ुक होती हैं और इनकी संख्या बढ़ती जाती है, जिससे रेटिना में तरल पदार्थ का रिसाव, रक्तस्राव और क्षत-ऊतक का निर्माण बढ़ता जाता है और दृष्टि हानि क्रमिक रूप से बढ़ती जाती है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण रक्त वाहिकाओं से होने वाले रिसाव से निकलने वाला तरल पदार्थ मैकुला (पीत बिंदु) में एकत्र होने लगता है, जो रेटिना का सबसे संवेदनशील भाग है और हमारी केंद्रीय दृष्टि एवं रंग दृष्टि के लिए उत्तरदायी भी है।

यह स्थिति — जिसे डायबिटिक मैकुलर एडीमा (DME) — भी कहते हैं, डायबिटिक रेटिनोपैथी से जुड़ी दृष्टि हानि का मुख्य कारण है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार के लिए लेज़र

डायबिटिक नेत्र रोग का लेज़र उपचार आमतौर पर आंख के क्षतिग्रस्त ऊतक को लक्ष्य बनाता है। कुछ लेज़र "स्पॉट वेल्डिंग" करके रिसाव के क्षेत्र को सील कर देते हैं (फोटोकोएगुलेशन) और इस प्रकार वे रिसती रक्त वाहिकाओं का सीधे तौर पर उपचार कर देते हैं। अन्य लेज़र नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण में बनी असामान्य रक्त वाहिकाओं को ख़त्म करते हैं।

लेज़र का उपयोग रेटिना की परिधि के अनावश्यक ऊतक को नष्ट करने में भी किया जा सकता है, जिससे VEGF का उत्पादन घटाने और मध्य रेटिना को जाने वाले रक्त प्रवाह में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।

परिधीय रेटिना के लेज़र उपचार के बाद, रक्त प्रवाह का कुछ अंश इस क्षेत्र को छोड़ते हुए निकल जाता है और वह रेटिना के मध्य भाग को पोषण प्रदान करता है। इससे पोषकतत्वों और ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है जिससे मैकुला की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है जो विस्तृत दृष्टि और रंगों की पहचान के लिए आवश्यक होती हैं। हालांकि, इस उपचार के कारण परिधीय दृष्टि का कुछ भाग समाप्त हो सकता है।

उल्लेखनीय रूप से बढ़ चुके डायबिटिक नेत्र रोग के उपचार के लिए इन दो प्रकार के लेज़र उपचारों का उपयोग किया जाता है:

फ़ोकल या ग्रिड लेज़र फोटोकोएगुलेशन

इस प्रकार की लेज़र ऊर्जा से सीधे प्रभावित क्षेत्र को लक्ष्य बनाया जाता है, या फिर इस ऊर्जा को एक सीमाबद्ध, ग्रिड जैसे पैटर्न में प्रयोग किया जाता है जिससे आंख के क्षतिग्रस्त ऊतक को नष्ट कर दिया जाता है और उन क्षत-ऊतक को साफ़ कर दिया जाता है जो अंध धब्बों और दृष्टि हानि में योगदान देते हैं। लेज़र उपचार की यह विधि आमतौर पर कुछ ख़ास व अलग-अलग रक्त वाहिकाओं को लक्ष्य बनाती है।

पैनरेटिनल लेज़र फोटोकोएगुलेशन (PRP)

इस विधि में, लेज़र ऊर्जा के लगभग 1,200 से 2,400 नन्हें धब्बे रेटिना की परिधि पर प्रयोग किए जाते हैं, और मध्य भाग को अनछुआ छोड़ दिया जाता है।

क्लीनिकल दृष्टि से काफ़ी बढ़ चुकी DME में फ़्लोरेसीन एंजियोग्राफी का उपयोग भी आवश्यक हो जाता है जिससे आंख के अंदरूनी भाग के चित्र प्राप्त होते हैं। ये चित्र लेज़र ऊर्जा के उपयोग का सही-सही मार्गदर्शन करते हैं, जिससे मैकुला की स्थानीकृत सूजन को "सुखाने" में मदद मिलती है। फ़्लोरेसीन एंजियोग्राम में, प्रोलिफ़रेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (यानि रेटिना में तरल का रिसाव शुरू हो चुका है) के कारण रक्त वाहिकाओं से होने वाले रिसाव के स्थान की पहचान भी की जा सकती है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लेज़र उपचार से दृष्टि में आमतौर पर सुधार नहीं होता है, असल में यह थेरेपी दृष्टि हानि को और बढ़ने से रोकने के लिए बनाई गई है। यहां तक कि 20/20 दृष्टि वाले ऐसे लोग जो उपचार के दिशानिर्देशों को संतुष्ट करते हैं, उनमें भी डायबिटीज़ के कारण अंततः होने वाली दृष्टि हानि की रोकथाम के लिए लेज़र थेरेपी पर विचार किया जाना चाहिए।

लेज़र उपचार से पहले, उसके दौरान और उसके बाद क्या अपेक्षा करें

लेज़र उपचार आमतौर पर किसी क्लीनिक या आंखों के डॉक्टर के ऑफ़िस में किया जाता है और अस्पताल में रात भर रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।

सुनिश्चित करें कि जिस दिन आपका उपचार होना हो उस दिन आपको घर से डॉक्टर के क्लीनिक या ऑफ़िस तक लाने और वापस ले जाने के लिए कोई आपके साथ हो। साथ ही, उपचार के बाद आपको धूप का चश्मा भी पहनना होगा क्योंकि आपकी आंखों की पुतलियां कुछ समय के लिए विस्तारित रहेंगी और आपकी आंखें प्रकाश के प्रति संवेदनशील रहेंगी।

उपचार से पहले, आपकी आंख की बगल में एक स्थानिक निश्चेतक या संभवतः कोई इंजेक्शन दे कर आपकी आंख को सुन्न कर दिया जाएगा, ताकि लेज़र उपचार के दौरान वह हिले-डुले नहीं।

लेज़र पुंज को आपकी आंख में डालने से पहले आपके आंखों के डॉक्टर निम्नलिखित प्रकार के एडजस्टमेंट करेंगे:

  • ऊर्जा की कितनी मात्रा का उपयोग करना है

  • आंख में जो "स्पॉट" यानि पुंज का छोर डाला जाएगा उसका आकार कितना होगा

  • लेज़र पुंज लक्षित क्षेत्र पर किस पैटर्न में प्रयोग की जाएगी

लेज़र उपचार में आमतौर पर कम-से-कम कई मिनट लगते हैं, पर आपकी आंख की स्थिति कैसी है इस आधार पर अधिक समय भी लग सकता है।

लेज़र उपचार के दौरान आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है, पर आपको दर्द नहीं होगा। उपचार के तुरंत बाद, आप अपनी सामान्य गतिविधियां बहाल कर सकेंगे। प्रत्येक लेज़र उपचार के बाद आपको एक या दो दिनों तक थोड़ी असुविधा और धुंधली दृष्टि का भी अनुभव हो सकता है।

आपको कितने उपचारों की ज़रूरत पड़ेगी यह बात आपकी आंख की स्थिति पर और नुकसान कितना हुआ है इस पर निर्भर करेगी। क्लीनिकल दृष्टि से काफ़ी बढ़ चुके डायबिटिक मैकुलर एडीमा से ग्रस्त लोगों को मैकुला की सूजन रोकने के लिए दो से चार माह के अंतराल पर तीन से चार अलग-अलग लेज़र सत्रों की ज़रूरत पड़ सकती है।

यदि आप प्रोलिफ़रेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (PDR) से ग्रस्त हैं — यानि रेटिना में तरल का रिसाव शुरू हो चुका है — तो लेज़र उपचार के हर सत्र में 30 से 45 मिनट लगने चाहिए और आपको तीन से चार सत्रों की ज़रूरत पड़ सकती है।

यदि आप PDR की पहचान होने के बाद जल्द-से-जल्द पैनरेटिनल लेज़र फोटोकोएगुलेशन करवा लेते हैं तो आपकी बाकी बची दृष्टि के बचे रहने की संभावना बढ़ जाती है।

डायबिटिक मैकुलर एडीमा के ग़ैर-लेज़र उपचार

डायबिटिक मैकुलर एडीमा के उपचार के लिए कभी-कभी लेज़र उपचार को वरीयता न दे कर आंख में कॉर्टिकोस्टेरॉइड वर्ग की दवाओं या अन्य दवाओं के इंजेक्शन को वरीयता दी जाती है जिसे या तो सीधे लगा दिया जाता है या किसी इंजेक्ट किए जा सकने वाले इम्प्लांट के रूप में।

या फिर कुछ मामलों में, दवा के इंजेक्शनों और लेज़र उपचार, दोनों के उपयोग की सलाह भी मिल सकती है।

जैसे-जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी बदतर होती है, वैसे-वैसे VEGF के साथ-साथ कोशिकाएं अन्य छोटे-छोटे "सिग्नल" प्रोटीन (जिन्हें सायटोकाइन कहते हैं) भी छोड़ने लगती हैं, जिससे रेटिना में सूजन बढ़ जाती है जिससे DME उत्पन्न हो सकती है या और बदतर हो सकती है।

कॉर्टिकोस्टेरॉइड वर्ग की दवाओं को इसमें लाभकारी पाया गया है; वे कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न VEGF और अन्य सूजनकारी सायटोकाइन्स की मात्रा ("डाउनरेगुलेशन" नामक प्रक्रिया द्वारा) घटाती हैं, जिससे डायबिटीज़-संबंधी मैकुलर एडीमा में कमी आ सकती है।

हालांकि निम्नलिखित दवाएं सूजन से संबंध रखने वाले कई प्रोटीन्स के स्तर को घटाती हैं, पर सामान्यतः इन्हें "VEGF-रोधी" दवाओं के वर्ग में रखा जाता है।

कुछ VEGF रोधी दवाएं या दवा छोड़ने वाले इंप्लांट, जो अमेरिका में DME के उपचार के लिए आंख में इंजेक्शन द्वारा दिए जाने के लिए FDA से स्वीकृत हैं, इस प्रकार हैं:

  • इलुविएन (Iluvien) (एलिमेरा साइंसेज़ (Alimera Sciences))

  • ओज़ुरडेक्स (Ozurdex) (एलरगेन (Allergan))

  • लुसेन्टिस (Lucentis( (जेनेन्टेक (Genentech))

  • आइलिया (Eylea) (रीजेनेरॉन फार्मास्युटिकल्स (Regeneron Pharmaceuticals))

इलुविएन (Iluvien) एक नन्हा इंप्लांट है जो डायबिटिक मैकुलर एडीमा के उपचार के लिए फ़्लुओसिनोलोन एसिटोनाइड (fluocinolone acetonide) नामक एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा लगातार धीरे-धीरे छोड़ता रहता है। इसे ऐसे रोगियों के लिए लिखा जाता है जिनका पूर्व में कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं से उपचार हो चुका है और तब उनकी आंख के अंदर के दबाव में क्लीनिकल दृष्टि से उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई थी (कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं के  उपयोग के साथ इस दबाव के बढ़ने का संभावित साइड इफ़ेक्ट जुड़ा होता है)।

एलिमेरा साइंसेज़ (Alimera Sciences) के अनुसार DME के अन्य उपचारों की तुलना में इलुविएन (Iluvien) का एक उल्लेखनीय लाभ इसके प्रभाव का दीर्घजीवी होना है: इलुविएन (Iluvien) को इस प्रकार बनाया गया है कि यह 36 माह तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा लगातार छोड़ता रहता है, जबकि अन्य उपचार मात्र एक या दो माह चलते हैं।

ओज़ुरडेक्स (Ozurdex) एक इंप्लांट है जो डायबिटिक मैकुलर एडीमा के उपचार के लिए डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) नामक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा की एकसमान मात्रा रेटिना में छोड़ता रहता है। इसका उपयोग पोस्टीरियर यूविआइटिस के उपचार के लिए  और ब्रांच रेटिनल वेन ऑक्लूज़न (BRVO) या सेंट्रल रेटिनल वेन ऑक्लूज़न (CRVO) — ये आंखों के दो प्रकार के स्ट्रोक हैं — के बाद होने वाले मैकुलर एडीमा के उपचार के लिए भी होता है।.

लुसेन्टिस (Lucentis) जिसमें रैनिबिज़ुमैब (Ranibizumab) नामक दवा होती है, एक VEGF रोधी दवा है जिसे जेनेन्टेक (Genentech) द्वारा बेचा जाता है। क्लीनिकल परीक्षणों में देखने को मिला है कि लुसेन्टिस (Lucentis) के मासिक नेत्र इंजेक्शन पाने वाले रोगियों में से 42.5 प्रतिशत तक रोगियों में उपचार आरंभ करने के दो वर्ष बाद मानक नेत्र चार्ट पर बेस्ट करेक्टेड विज़ुअल एक्युटी (दृष्टि तीक्ष्णता) (BCVA) में कम-से-कम 15 अक्षरों की बढ़त हुई, जबकि नियंत्रण समूह में ऐसा 15.2 प्रतिशत रोगियों में देखने को मिला।

एक अन्य अध्ययन में पता चला कि लुसेन्टिस (Lucentis) के इंजेक्शन और लेज़र फोटोकोएगुलेशन के साथ लुसेन्टिस (Lucentis) के इंजेक्शन, DME के उपचार में अकेले लेज़र उपचार की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अधिक प्रभावी थे।

आइलिया (Eylea) जिसमें एफ़्लिबेरसेप्ट (Aflibercept) नामक दवा होती है, एक VEGF रोधी दवा है जिसे रीजेनेरॉन फार्मास्युटिकल्स (Regeneron Pharmaceuticals) द्वारा DME के उपचार के लिए बेचा जाता है। इसे आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन (AMD, बढ़ती उम्र में मैकुला (पीत बिंदु) का क्षय) की उन्नत अवस्था के उपचार के लिए, और रेटिना की शिराएं अवरुद्ध होने के कारण होने वाले मैकुलर एडीमा के उपचार के लिए भी मंज़ूरी मिली हुई है।

DME के लिए लेज़र फोटोकोएगुलेशन उपचारों की तुलना में आइलिया (Eylea) के मासिक इंजेक्शनों के परिणामों का मूल्यांकन करने वाले अध्ययनों में यह पाया गया कि आइलिया (Eylea) से उपचार ने लेज़र उपचारों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बेहतर परिणाम दिए। आइलिया (Eylea) से उपचार करवाने वाले रोगियों ने नेत्र चार्ट पर औसतन दो अतिरिक्त पंक्तियां पढ़ने की योग्यता हासिल की, जबकि इसकी तुलना में नियंत्रण समूह के रोगियों की दृष्टि तीक्ष्णता में लगभग कोई बदलाव देखने को नहीं मिला।

रेटिसर्ट (Retisert) (बॉश + लॉम्ब (Bausch + Lomb)) आंख के अंदर लगाया जाने वाला एक और इंप्लांट है जो DME के उपचार के लिए फ़्लुओसिनोलोन एसिटोनाइड नामक कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवा को लंबे समय तक धीरे-धीरे छोड़ता रहता है। बॉश + लॉम्ब (Bausch + Lomb) के अनुसार, रेटिसर्ट (Retisert) को आंख के अंदर 2.5 वर्षों तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड चिकित्सा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इस यंत्र को, स्क्लेरा (श्वेतपटल) में सर्जरी द्वारा चीरा लगा कर आंख के अंदर लगा दिया जाता है।.

DME के लिए आंख के अंदर स्टेरॉइड द्वारा उपचार के साथ कुछ जोख़िम भी जुड़े होते हैं, जैसे स्टेरॉइड प्रेरित मोतियाबिंद और ग्लूकोमा। मोतियाबिंद के कारण होने वाली दृष्टि हानि को आमतौर पर मोतियाबिंद की सर्जरी द्वारा बहाल किया जा सकता है। ग्लूकोमा (काला मोतिया) का जोख़िम घटाने के लिए, आपके आंखों के डॉक्टर रोकथाम के उपाय के तौर पर ग्लूकोमा के आई ड्रॉप का, या ग्लूकोमा की सर्जरी का भी सुझाव दे सकते हैं.

डायबिटिक नेत्र रोग के लिए विट्रेक्टमी (Vitrectomy) और अन्य सर्जिकल उपचार

प्रोलिफ़रेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रस्त कुछ लोगों में, विट्रस (कांचाभ द्रव) में रक्तस्राव (जिसे विट्रस हेमरेज कहते हैं) के कारण लेज़र फोटोकोएगुलेशन उपचार असंभव हो जाता है क्योंकि रक्त के कारण सर्जन रेटिना को देख नहीं सकते हैं।

यदि कुछ सप्ताह या माह के अंदर विट्रस हेमरेज ख़त्म नहीं होता है, तो विट्रेक्टमी नामक एक सर्जिकल कार्यविधि का उपयोग करके रक्त से भरे विट्रस को हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर एक पारदर्शी, जैल जैसा पदार्थ भर दिया जाता है। विट्रेक्टमी के बाद लेज़र फोटोकोएगुलेशन किया जा सकता है। लेज़र कार्यविधि को या तो विट्रेक्टमी करते समय या उसके कुछ ही समय बाद किया जाता है।

रेटिना में रक्तस्राव और विट्रस हेमरेज के कारण क्षत ऊतकों की पट्टियां भी बन सकती हैं। क्षत ऊतकों की ये पट्टियां रेटिना को खींचती हैं जिसके कारण वह अपने स्थान से अलग हो सकता है, इस स्थिति को रेटिनल डिटैचमेंट कहते हैं। यदि आपमें डायबिटिक रेटिनोपैथी होने की पहचान हुई है और आपको प्रकाश की चौंध और परिधीय दृष्टि की अचानक हानि का अनुभव हो रहा है (ये दोनों ही अपने स्थान से अलग हो चुके रेटिना के लक्षण हैं) तो तुरंत अपने आंखों के डॉक्टर को दिखाएं।

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