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आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन (ARMD) क्या है?

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आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन — जिसे AMD या ARMD भी कहा जाता है — एक ऐसी स्थिति का नाम है जिसमें मैक्युला का क्षय होने लगता है, जो कि आँख की रेटिना का छोटा सा केन्द्रीय भाग होता है जो दृश्य सुस्पष्टता (विजुअल एक्युटी) को नियंत्रित करता है.

किसी व्यक्ति का मैक्युला जितना अधिक स्वस्थ होता है, वह व्यक्ति उतनी ही अच्छी तरह से पढ़ सकता है, चेहरों को पहचान सकता है, वाहन चला सकता है, टीवी देख सकता है, कम्प्यूटर या फोन का प्रयोग कर सकता है, तथा किसी अन्य ऐसे दृश्य कार्य को निष्पादित कर सकता है जिसमें हमें बारीकियों को देखने की आवश्यकता होती है।

आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन के मामलों के जनसंख्या अध्ययन का एक मेटा-विश्लेषण The Lancet नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था, इसमें पाया गया कि दुनियाभर में लगभग 8.7 प्रतिशत लोगों को आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन है, तथा ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया है कि वर्ष 2020 में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 196 मिलियन है, जो कि वर्ष 2040 में बढ़कर लगभग 288 मिलियन तक पहुंच जाएगी।

शोधकर्ताओं का यह भी आकलन है कि विश्व में लगभग 5 प्रतिशत नेत्रहीनता आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के कारण है।

मैक्युलर डिजनरेशन के आर्द्र एवं शुष्क रूप

मैक्युलर डिजनरेशन को या तो शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन या आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

आर्द्र रूप की तुलना में शुष्क रूप अधिक आम है, आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के लगभग 85 से 90 प्रतिशत रोगियों को शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन होना पाया जाता है। कम आम आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के चलते आमतौर पर अधिक गम्भीर दृष्टि हानि होती है।

आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के दोनों रूपों के बारे में अधिक विस्तृत चर्चा निम्न है:

शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन

शुष्क मैक्युलर डिजनरेशन रोग का एक आरम्भिक चरण होता है। इसके कारण इस प्रकार हैं - आयु बढ़ना तथा मैक्युलर ऊतक का पतला होना, मैक्युला में रंजक एकत्रित होना, अथवा दो प्रक्रियाओं का संयोजन।

शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन की पहचान उस समय की जाती है, जब ड्रुसेन (Drusen) नामक पीले रंग के स्पॉट किसी व्यक्ति के मैक्युला में और उसके आसपास एकत्रित होने लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे स्पॉट, क्षय होने वाले ऊतकों के निक्षेप या अवशेष होते हैं।

शुष्क मैक्युलर डिजनरेशन की स्थिति में केन्द्रीय दृष्टि की थोड़ी-थोड़ी करके हानि हो सकती है, परन्तु इसमें दृष्टि क्षय उतना अधिक गम्भीर नहीं होता है, जितना आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के कारण होता है। हालांकि शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के कारण दृष्टि क्षय लगातार प्रत्येक वर्ष बढ़ता रह सकता है, और अंततः इसके कारण महत्वपूर्ण दृष्टि हानि हो सकती है।

वैसे तो शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन का अभी तक कोई प्रभाव चिकित्सीय उपचार नहीं है, लेकिन पोषण अध्ययनों में ऐसा पाया गया है कि एन्टीऑक्सीडेंट विटामिन तथा ल्यूटीन एवं जियैक्सैन्थीन युक्त संपूरक आहार शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के जोखिम को कम कर सकता है, जिससे इस रोग के प्रगति करके अधिक गम्भीर आर्द्र चरण में पहुंचने का जोखिम कम हो सकता है।

वर्तमान में ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी आँखों में आरम्भिक (शुष्क) मैक्युलर डिजनरेशन को विकसित होने से बचाने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि एक स्वास्थ्यवर्द्धक आहार का सेवन किया जाए, व्यायाम किया जाए तथा धूप का चश्मा पहना जाए जो आपकी आँखों को हानिकारक पराबैंगनी किरणों तथा उच्च-ऊर्जा दृश्य (HEV) विकिरण से बचाता है।.

आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन

आर्द्र मैक्युलर डिजनरेशन में रेटिना के नीचे असामान्य रक्त धमनियाँ निकल आती हैं, जिनमें से रक्त एवं द्रव का रिसाव होता है। इस रिसाव के कारण मैक्युला में प्रकाश-संवेदी रेटिनल कोशिकाओं (फोटोरिसेप्टर्स) की स्थायी क्षति होती है तथा प्रभावित व्यक्ति के विजुअल फील्ड में एक सेन्ट्रल ब्लाइंड स्पॉट (स्कोटोमा) निर्मित हो जाता है।

आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के मूल कारण को कोरोयडल नियोवैस्कलराइजेशन (CNV) कहते हैं, यह असामान्य रक्त धमनियों की वृद्धि होने की प्रक्रिया होती है, यह ऐसी स्थिति में होता है जब किसी व्यक्ति का शरीर उसकी आँखों की रेटिना तक अधिक पोषक तत्व एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए रक्त धमनियों का एक नया तंत्र निर्मित करने का प्रयास करता है, और इसी प्रयास के दौरान रक्त धमनियों का पथ-विचलन हो जाता है। इस प्रक्रिया में वांछित क्रिया के बजाय दाग निर्मित होने लगते हैं तो कई बार इसके कारण केन्द्रीय दृष्टि हानि की स्थिति आ जाती है।

आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन लक्षण एवं संकेत

आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन में आमतौर पर एक धीमी गति से, और पीड़ारहित तरीके से दृष्टि की हानि होती है। तथापि, चरम मामलों में अचानक से भी दृष्टि हानि हो सकती है। आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के कारण दृष्टि हानि के आरम्भिक लक्षणों में ये बातें शामिल हैं - आपकी केन्द्रीय दृष्टि में धुंधले क्षेत्र, अथवा असामान्य रूप से अस्पष्ट अथवा विरूपित स्पॉट जो आपकी दृष्टि क्षेत्र के केवल केन्द्रीय भाग को प्रभावित करते हैं।

एक ऐंस्लेर ग्रिड में सीधे पक्तियां होते हैं और बीच में एक निर्देशी ---- भी

एक तरीका यह है कि ग्राफ पैटर्न में व्यवस्थित काली रेखाओं के चार्ट (एम्सलर ग्रिड) को देखकर बताया जा सकता है कि आपको ये दृष्टि समस्याएं हो रही हैं या नहीं। देखें कि मैक्युलर डिजनरेशन परीक्षण करने द्वारा एम्सलर ग्रिड किस तरह काम करता है।

नेत्र चिकित्सक प्रायः लक्षणों के घटित होने से पहले ही मैक्युलर डिजनरेशन के आरम्भिक संकेतों को पहचान लेते हैं। आम तौर पर इसे रेटिनल जाँच के माध्यम से किया जाता है। जब मैक्युलर डिजनरेशन का संदेह होता है, तो एक एम्सलर ग्रिड द्वारा एक लघु परीक्षण किया जा सकता है, जिसमें आपकी केन्द्रीय दृष्टि का मापन किया जा सकता है।

यदि आपके नेत्र चिकित्सक आपकी केन्द्रीय दृष्टि में कुछ दोष पाते हैं, जैसे कि विरूपण अथवा धुंधलापन, तो वह मैक्युला के आसपास रेटिनल रक्त धमनियों की जाँच करने के लिए विशेष इमेजिंग परीक्षण करवा सकते हैं।

मैक्युलर डिजनरेशन क्यों होता है?

हालांकि मैक्युलर डिजनरेशन का सम्बन्ध आयु बढ़ने से है, लेकिन शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस रोग के कुछ आनुवंशिक घटक भी हैं। शोधकर्ताओं ने आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के विकास तथा कॉम्प्लीमेन्ट फैक्टर H (CFH) नामक एक जीन की किस्म की मौजूदगी के बीच में एक मजबूत सम्बन्ध देखा है। यह जीन न्यूनता, मैक्युलर डिजनरेशन के संभावित रूप से सभी नेत्रहीनता मामलों में से लगभग आधे मामलों के साथ सम्बन्धित है।

दूसरे अन्वेषकों ने पाया है कि कॉम्प्लीमेन्ट फैक्टर B नामक एक दूसरे जीन की किस्में आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के विकास में शामिल हो सकती हैं।

इनमें से किसी एक या दोनों जीन्स की विशिष्ट किस्में, जो कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में एक भूमिका निभाती हैं, इन्हें अध्ययन किए गए आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन मरीज़ों में से 74 प्रतिशत मरीज़ों में पाया गया। अन्य कॉम्प्लीमेन्ट फैक्टर भी मैक्युलर डिजनरेशन के अधिक जोखिम के साथ सम्बन्धित हो सकते हैं।

अन्य शोध में पाया गया कि रेटिना में ऑक्सीजन-वंचित कोशिकाएँ एक प्रकार का प्रोटीन उत्पन्न करती हैं जिसका नाम वैस्क्युलर एण्डोथीलियल ग्रोथ फैक्टर (VEGF) है, जो रेटिना में नई रक्त धमनियों की वृद्धि को ट्रिगर करता है।

VEGF का सामान्य कार्य, भ्रूणीय विकास के दौरान, किसी क्षति के बाद, अथवा बाधित रक्त धमनियों को बाइपास करने के लिए, नई रक्त धमनियों का निर्माण करना है। परन्तु आँख में बहुत अधिक VEGF के कारण रेटिना में अवांछित रक्त धमनियों का विकास होता है, जो आसानी से भंग हो जाती हैं और उनमें से रक्तस्राव होता है, जिसके कारण रेटिना तथा मैक्युला के आसपास क्षति होती है।

आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन का जोखिम किन लोगों को होता है?

आयु वृद्धि आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। 40 वर्ष की आयु के बाद जीवन का प्रत्येक दशक इस रोग के जोखिम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा देता है। इसीलिए 40 वर्ष की आयु के बाद नियमित रूप से आँखों की जाँच करवाना बहुत महत्वपूर्ण है।

आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन के अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं:

· आनुवंशिकता। जैसा कि ऊपर बताया गया uw, हाल-फिलहाल के अध्ययनों में पाया गया है कि मैक्युलर डिजनरेशन से पीड़ित अधिकांश लोगों में भिन्न जीन्स की विशिष्ट किस्में पायी गईं।

· धूम्रपान। धूम्रपान आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। शोध में पाया गया है कुछ देशों में आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के लगभग 25 प्रतिशत मामलों का सम्बन्ध धूम्रपान से था, जिसके चलते गम्भीर दृष्टि हानि हुई थी। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान करने वालों के साथ रहने वाले लोगों में आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन होने का दोगुना जोखिम है।

· मोटापा।  शोधकर्ताओं ने पाया कि शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन से पीड़ित जो लोग स्थूल थे, उन्हें सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में उन्नत मैक्युलर डिजनरेशन होने का जोखिम दोगुना था।

· निष्क्रियता। शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन से पीड़ित जो लोग सप्ताह में कम से कम तीन बार कठोर शारीरिक परिश्रम करते हैं, उन्हें शुष्क आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन से पीड़ित निष्क्रिय रहने वाले व्यक्तियों की तुलना में उन्नत आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन होने का जोखिम कम हो जाता है।

· उच्च रक्त चाप एक यूरोपीय अध्ययन में पाया गया कि उच्च रक्त चाप का सम्बन्ध मैक्युलर डिजनरेशन विकसित होने के साथ हो सकता है।

साथ ही, कुछ दवाएँ — जैसे कि एंटी-साइकोटिक दवाएँ तथा मलेरिया के उपचार की दवाएँ (क्लोरोक्विन) — के कारण आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन का जोखिम बढ़ सकता है।

मैक्युलर डिजनरेशन का उपचार कैसे किया जाता है

वर्तमान समय में आयु-सम्बन्धित मैक्युलर डिजनरेशन का कोई स्थायी उपचार नहीं है।  

आर्द्र आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन की प्रगति को धीमा करने के लिए उपचार उपलब्ध हैं। इनमें से सबसे अधिक लोकप्रिय उपचार में एंटी-VEGF एजेंट्स नामक दवाओं के इंजेक्शन को आँख में लगाया जाना शामिल है। ये एजेंट्स रेटिना में नई रक्त वाहिका की वृद्धि एवं फुलाव (सूजन) को कम करते हैं।

पोषण एवं मैक्युलर डिजनरेशन

इस बारे में लगातार शोध किए जा रहे हैं कि क्या आहार में परिवर्तन के द्वारा किसी व्यक्ति के मैक्युलर डिजनरेशन के जोखिम और इस रोग के कारण होने वाली दृष्टि हानि को कम किया जा सकता है। और इनमें से कुछ अध्ययनों में पोषण तथा आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के कम जोखिम के बीच में सकारात्मक सम्बन्ध सामने आ रहे हैं।

उदाहरण के लिए कुछ अध्ययनों में पाया गया कि पर्याप्त मात्रा में सैमन एवं ओमेगा-3 वसीय अम्ल से भरपूर खाद्य पदार्थों वाले आहार आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन की रोकथाम करने में अथवा इसकी प्रगति के जोखिम को कम करने में सहायता कर सकते हैं।

अन्य अध्ययनों में पाया गया कि ल्यूटीन एवं जियैक्सैन्थीन युक्त संपूरक आहार, मैक्युला में, आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन से आँखों की सुरक्षा करने से सम्बन्धित रंजकों के घनत्व को बढ़ा देते हैं।

आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन के लिए परीक्षण एवं कम दृष्टि उपकरण

यदि आपको आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन का उच्च जोखिम है, अथवा आपकी जाँच में यह रोग पाया गया है, तो आपके नेत्र चिकित्सक आपको सलाह दे सकते हैं कि आप एम्सलर ग्रिड कार्ड (नीचे वर्णित किया गया है) के साथ अपनी दृष्टि की नियमित जाँच करवाएँ।

प्रत्येक आँख से एम्सलर ग्रिड को अलग-अलग देखने से आपकी दृष्टि हानि को मॉनिटर करने में सहायता मिलती है। एम्सलर ग्रिड एक बहुत ही संवेदनशील परीक्षण है, तथा आपके नेत्र चिकित्सक जब एक नियमित आँखों की जाँच में आयु संबंधी मैकुलर डीजेनरेशन सम्बन्धित क्षति देखेंगे, उससे पहले ही इसकी सहायता से आपकी केन्द्रीय दृष्टि समस्याओं का पता लगाया जा सकता है.

जिन लोगों को मैक्युलर डिजनरेशन के कारण दृष्टि हानि हो चुकी है, उनके लिए बहुत से कम दृष्टि उपकरण उपलब्ध हैं, जो उन्हें चलने-फिरने एवं विशिष्ट दृश्य कार्य करने में सहायता कर सकते हैं।

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